गायत्री मंत्र की शक्ति और रहस्य चमत्कारी है! अन्य सभी मंत्रों की उत्पत्ति गायत्री मंत्र से ही हुई है! गायत्री वेद जननी हैं! गायत्री मंत्र से सात्विक, तामसी और तांत्रिक पूजा पाठ भी किया जा सकता है, क्योंकि गायत्री को महामंत्र भी कहा जाता है! वेदों के मुताबिक गायत्री मंत्र से ही सभी मंत्रों की उत्पत्ति हुई है! गायत्री को तीनों लोकों की कामधेनु भी कहा जाता है! गायत्री मंत्र के एक एक अच्छर और एक एक शब्द में सभी देवी देवताओं का वास है ! अर्थात गायत्री मंत्र के जप और तप से सभी सिद्धियां हासिल की जा सकती हैं! जहां गायत्री का पूजा पाठ या मंत्र जाप होता है वहां वास्तुदोष का असर नहीं होता और ना ही कोई शैतानी आत्मा बहां टिक पाती है। महर्षि विश्वामित्र गायत्री के ही उपासक थे। यह एक कठोर परंतु सर्व सिद्धी दात्री देवी मानी जाती हैं। गायत्री देवी की साधना हेतु श्री गायत्री मंत्र का जप-अनुष्ठानादि किया जाता है।
श्री गायत्री देवी का निवासस्थान- सत्यलोक - अस्त्र- शंख, चक्र, पद्म, परशु, गदा और पाश, जीवनसाथी-ब्रह्मदेव , सवारी-हंस ... गायत्री मंत्र - ॐ भूर्भूवः स्वः।तत्सवितुर्वरेण्यम्।भर्गो देवस्य धीमही।धियो योनः प्रचोदयात्।. ..... ( लेखक - बाबा रामदेव द्विवेदी , प्रधान संपादक ऊँ टाइम्स समाचार पत्र भारत
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